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मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारतीय उच्चायोग के साथ निवेश और विकास के संकल्पों पर चर्चा की

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने यूके दौरे के पहले दिन भारतीय उच्चायोग, लंदन के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने औद्योगिक विकास, तकनीकी सहयोग और वैश्विक निवेश को लेकर प्रदेश की योजनाओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा ब्रिटेन से शुरू करने पर खुशी व्यक्त करते हुए भारतीय उच्चायोग के सहयोग की सराहना की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह मेरे लिए गौरव का क्षण है कि मैं अपनी इस महत्वपूर्ण यात्रा की शुरुआत यूके से कर रहा हूं। इस यात्रा की तैयारी में उच्चायोग टीम द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन और सहयोग के लिए मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

औद्योगिक विकास को प्राथमिकता

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि औद्योगिक विकास प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। उन्होंने बताया कि उज्जैन, रीवा, ग्वालियर, जबलपुर और सागर जैसे शहरों में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव से प्रदेश में निवेश को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हम अब राष्ट्रीय स्तर से आगे बढ़कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों को प्रदेश के विकास से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जिसकी शुरुआत लंदन से हो रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कृषि, ऑटोमोबाइल, ऑटो कंपोनेंट्स, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी जैसे क्षेत्रों में मध्यप्रदेश की अपार संभावनाओं को रेखांकित किया। उन्होंने विशेष रूप से ब्रिटेन के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, कौशल विकास और अनुसंधान के क्षेत्र में साझेदारी की बात कही।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने फरवरी 2025 में भोपाल में आयोजित होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए भारतीय उच्चायोग से विशेष सहयोग का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मेरा विशेष आग्रह है कि उच्चायोग की टीम मध्यप्रदेश को ब्रिटिश निवेशकों के लिए आदर्श स्थल के रूप में स्थापित करने में हमारा सहयोग करें।

बैठक में भारतीय उच्चायुक्त श्री विक्रम के दोराईस्वामी, उप उच्चायुक्त श्री सुजीत घोष, मंत्री (आर्थिक) श्रीमती निधि मणि त्रिपाठी और प्रथम सचिव (व्यापार) श्री जसप्रीत सिंह सुक्खीजा उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव और भारतीय उच्चायोग, लंदन के बीच हुई यह चर्चा प्रदेश और यूके के बीच औद्योगिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने में एक नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखी जा रही है।

 

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