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नीट पेपर लीक मामले में संसद में हंगामा, दोनों सदन एक जुलाई तक स्थगित

विपक्ष नीट पर चर्चा की मांग को लेकर स्थगन प्रस्ताव लाया था

नई दिल्ली। नीट पेपर लीक विवाद का असर संसद सत्र में भी देखने को मिल रहा है। संसद सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष के हंगामे के चलते लोकसभा में कार्यवाही एक जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी गई। हालांकि राज्यसभा में कार्यवाही रुक-रुककर चलती रही। बाद में इसे भी 1 जुलाई तक स्थगित कर दिया गया। दरअसल, विपक्ष नीट पर चर्चा की मांग को लेकर स्थगन प्रस्ताव लाया था। लोकसभा स्पीकर ने कहा कि नियमों के मुताबिक राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद के बीच स्थगन प्रस्ताव नहीं लाया जाता। जबकि राज्य सभा में 22 सांसदों के नोटिस को सभापति ने खारिज कर दिया। 24 जून से शुरू हुआ संसद का यह सत्र 3 जुलाई तक चलेगा। राज्य सभा में पीएम मोदी 3 जुलाई को चर्चा का जवाब दे सकते हैं।
कांग्रेस का आरोप: लोकसभा में राहुल गांधी का माइक बंद किया
लोकसभा की कार्यवाही की शुरुआत तो हुई, लेकिन महज 15 मिनट बाद ही इसे 12 बजे तक स्थगित कर दिया गया। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी से नीट पर चर्चा में शामिल होने की अपील की। लेकिन हंगामे के बीच लोकसभा की कार्यवाही रोकनी पड़ी। राहुल जब बोलने लगे तो उनकी आवाज नहीं आई, इस पर विपक्ष ने स्पीकर पर माइक बंद करने का आरोप लगाया। इस पर ओम बिरला ने कहा कि उनके पास माइक का बटन नहीं होता है।
राज्यसभा में खड़गे वेल में पहुंचे तो भड़क गए सभापति धनखड़
नीट मामले पर चर्चा की मांग के दौरान राज्यसभा में चेयरमैन जगदीप धनखड़ और नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच विवाद की स्थिति बनी। हंगामे के बीच खड़गे सभापति की आसंदी के पास पहुंच गए, जिस पर धनखड़ भड़क गए और कार्यवाही 2 बजे तक रोक दी। खड़गे सदन से बाहर आकर बोले कि यह चेयरमैन की गलती है। मैं उनका ध्यान खींचने के लिए अंदर गया था। लेकिन, तब भी वे नहीं देख रहे थे। वे केवल सत्ता पक्ष को देख रहे थे। नियमानुसार उन्हें मेरी तरफ देखना चाहिए, लेकिन उन्होंने जानबूझकर मुझे अनदेखा करके मेरा अपमान किया।
बेवजह माहौल बना रहा विपक्ष: त्रिवेदी
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- नीट पर सरकार संवेदनशील और पूरी तरह से सतर्क है। शिक्षा मंत्री ने कहा है कि एक भी बच्चे के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, लेकिन जब ये विषय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, विपक्ष क्या न्यायालय के विजडम से ऊपर समझते हैं। जब एनटीए चीफ को हटा दिया गया, जांच जारी है, मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो इस तरह का माहौल बनाने का क्या मतलब है।

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